महान आज्ञा को पूरा करने में क्या लगेगा?
– स्टेन पार्क्स –
अपने चेलों को अंतिम निर्देश देते हुए (मत्ती 28:18-20), यीशु ने अपने सभी चेलों के लिए एक अद्भुत योजना की नींव रखी – तब के और अब के दोनों के लिए|
हम उस नाम में जाते है जिसमे सारा अधिकार है – स्वर्ग में और पृथ्वी पर का | पवित्र आत्मा की सामर्थ्य को प्राप्त कर हम जाते है – हमारे यरूशलेम, यहूदिया, सामरिया (निकट के “शत्रु”) और संसार के छोर तक के लोगों के बीच में | यीशु हमें सब जातियों के लोगों को चेला बनाने, उन्हें पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा देने और उसकी सब आज्ञाओं का मानने की शिक्षा को दिया है | और वह सदैव हमारे साथ है|
महान आज्ञा पूरा करने में क्या लगेगा? “बचे हुए कार्य ” को समझने के लिए, हम इन शब्दों का इस्तेमाल करते हैं “न पहुँचे हुए” “सुसमाचार न सुनाये गए,” “शामिल न किए गए” और “कम पहुँचे हुए|”
अधिकतर हम इन शब्दों का इस्तेमाल आतंरिक परिवर्तन के तौर पर करते हैं | यह थोडा खतरनाक हो सकता है, क्योंकि उनका अर्थ एक ही नहीं है , और जब हम उनका इस्तेमाल करते हैं तो हमारे कहने का अर्थ भी एक ही नहीं होता है|
इसके कुछ समय बाद “न पहुँचे” यह शब्द बहुत ही प्रसिद्ध हो गया जब शिकागो में मिस्सियोलोजिस्टों की “न पहुँचे हुए” लोगों पर एक सभा हुई जहाँ इस शब्द को मुलत: परिभाषित किया गया | इसे परिभाषित किया गया , “लोगों का एक समूह जहाँ कलीसिया का अभाव है जो सीमाओं तक समूह को सुसमाचार सूना सके बगैर संस्कृति के पार की सहायता के |”
“सुसमाचार न सुनाये गए” शब्द सामान्यतः उपयोग में था , और इसे वर्ल्ड क्रिश्चियन इनसाइक्लोपीडिया में परिभाषित किया गया है गणितीय समीकरण के रूप में जिसमें लोगों के समूह की संख्या का अनुमान लगाया जाता है जिनके पास उनके जीवन भर में कम से कम एक बार सुसमाचार सुनने का मौका हो | यह उन लोगों की संख्या की मात्रा है जिनके पास सुसमाचार सुनने का मौका हो| उदाहरण के लिए एक समूह को 30% सुसमाचार सुनाया गया हो , इसका अर्थ है कि खोज करने वाले इस बात का अनुमान लगाते हैं कि 30% लोगों ने सुसमाचार सुना है और 70% अभी तक नहीं सुने हैं | यह स्थानीय कलीसिया के गुणवत्ता या उसके स्वंय से कार्य समाप्त करने की क्षमता का कोई कथन नहीं है |
फिनिशिंग द टास्क के द्वारा “शामिल न किए गए” बनाया गया था और लोगों के समूह के रूप में परिभाषित किया गया जिसके पास कलीसिया रोपण के रणनीति दल का अभाव हो | यदि कुछ लाखों लोगों के समूह के पास दो या तीन लोगों का समूह हो जिनके पास “शामिल होना” कलीसिया रोपण की रणनीति के साथ जुड़ा हो , तो यह “शामिल है” (परन्तु निश्चय ही अयोग्य है)| फिनिशिंग द टास्क शामिल न किए गए लोगों की सूची बनाये रखती है, जो दूसरे सूचियों से ली जाती है|
“कम पहुँचे हुए” एक सामान्य शब्द है जो बचे हुए कार्य का मूल है | इसमें कोई विशेष परिभाषा नहीं
है, और अधिकतर जब किसी विशेष परिभाषा की मांग न होने पर इसे इस्तेमाल किया जाता है |
कार्य क्या है?
24:14 लक्ष्य पीढ़ियों का भाग है जो महान आज्ञा को पूरा करते हैं | और हम महान आज्ञा को बेहतर रीती से पूरा करने की सोच रखते है (हर समूह के लोगों से चेलों को बनाना) हर लोगों और स्थानों में राज्य के आन्दोलन के द्वारा |
ये सभी शब्द- “न पहुँचे हुए” “सुसमाचार न सुनाये गए,” “शामिल न किए गए” और “कम पहुँचे हुए,” कई तरह से मददगार हैं | फिर भी ये भ्रम में डाल सकते है और अनुत्पादक भी हो सकते हैं , इस आधार पर की ये कैसे इस्तेमाल किये गए है |
हम देखना चाहते हैं कि हर कोई सुसमाचार सुना हो , लेकिन केवल सुसमाचार ही न सुना हो | दूसरे शब्दों में, यह पर्याप्त नहीं है कि हर कोई सुसमाचार मात्र सुना हो | हम जानते हैं कि “हर एक जाति, कुल, लोग, और भाषाओं में से चेले बनाए जायेंगे ” (प्रकाशितवाक्य 7:9 ) |
हम देखना चाहते हैं कि हर लोगों का समूह पहुँचाया गया हो – और एक मजबूत कलीसिया बनी हो जो अपने लोगों को सुसमाचार सुना सके | परन्तु हम सिर्फ इतना ही नहीं चाहते हैं| जोशुआ प्रोजेक्ट कहता है एक पहुँचे हुए समूह में 2% इवैंजेलिकल ईसाई हैं| इसका अर्थ है उन्होंने अनुमान लगाया की वो 2% बचे हुए 98% को सुसमाचार सुनायेंगे| यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है, परन्तु हम इससे संतुष्ट नहीं हैं यदि सिर्फ 2% लोग ही यीशु के अनुयायी बने |
हम देखना चाहते हैं कि प्रत्येक समूह इसमें शामिल है, परन्तु केवल शामिल ही न हो | क्या आप चाहते हो कि आपका शहर जिसमे पाँच या दस लाख लोग है और उसमे सिर्फ दो लोग ही सुसमाचार की सेवा का कार्य करे?
महान आज्ञा की मूल भाषा केन्द्रीय आज्ञा के इन वचनों स्पष्ट करती है , चेले बनाओ (माथेतयूसते)| न केवल व्यक्तिगत चेले, परन्तु जाती के चेले बनाना, एथ्ने – सम्पूर्ण जाति के समूहों के चेले बनाना | दूसरी क्रियायें (“जाओ” “बपतिस्मा दो” “सिखाओ”) मुख्य आज्ञा को मदद करती हैं – की सारे जातियों को चेला बनाओ|
यूनानी शब्द एथ्नोस (एथ्ने एक वचनी) को इस तरह परिभाषित किया जाता है, “व्यक्तियों का एक समूह जो कुटुम्बियों, संस्कृति और सामान्य परम्पराओं, देश, और लोगों के द्धारा जुड़ा है | प्रकाशितवाक्य 7:9 एथ्ने (“देशों”) के चित्र को प्रगट करता है जिन तक पहुँचना है, जिसमें और तीन वर्णनात्मक शब्दों को जोड़ सकते हैं: जाति, लोग, और भाषा – विभिन्न समूह सामान्य परिचय के साथ |
लुसान 1982 लोगों के समूह की परिभाषा कहती है: “सुसमाचार सुनाने के उद्धेश्यों के लिए, लोगों का समूह एक बड़ा समूह है जिसमें सुसमाचार बिना समझ या स्वीकृति के उत्साहित करनेवाले बाधाओं के रूप में फ़ैल सकता है कलीसिया रोपण आन्दोलन के रूप में |”
हम एक सम्पूर्ण देश, जाति, लोगों एवं भाषा के लोगों को चेला कैसे बना सकते हैं?
इसका एक उदाहरण हम प्रेरितों के काम 19:10 में देखते हैं, जो कहता है “दो वर्ष तक यही होता रहा, यहाँ तक कि आसिया (15 मिलियन लोग) के रहनेवाले क्या यहूदी क्या यूनानी सब ने प्रभु का वचन सुन लिया|” रोमियों 15 (पद 19-23) में, पौलुस कहता है कि यरूशलेम से लेकर इल्लिरिकुम तक ऐसा कोई स्थान नहीं बचा जहाँ उसका शुरू किया गया काम नहीं पहुँचा|
इसलिये महान आज्ञा को पूरा करने में क्या लगेगा? निश्चय रूप से परमेश्वर ही जानता है की महान आज्ञा अंततः कब पूरी होगी | फिर प्रत्येक जाति के लोगों को चेला बनाने का लक्ष्य तय रहेगा, जिसके परिणामस्वरूप कलिसियायें बनेगी | चेले परमेश्वर के राज्य को जिए – कलीसिया के बाहर तथा अन्दर – उनके समुदायों को रूपांतरित करें और निरंतर उसके राज्य में और अधिक लोगों को लेकर आये|
राज्य के आन्दोलन में शामिल होना
इसलिये 24:14 बनाने वाले प्रतिबद्ध लोगों ने राज्य के आन्दोलन में शामिल होने के समर्पण पर ध्यान दिया है | हम इस बात को पहचानते हैं कि केवल चेलों, कलीसियाओं और अगुवों को बहुगुणित करने वाला आन्दोलन ही सम्पूर्ण समुदायों, भाषा के समूहों, और देशों को चेला बन सकता है |
बहुत बार हम मिशंस में “ मै क्या कर सकता हु ” सिर्फ यही पूछते है : इसके बजाए हमे पूछना चाहिए “मैं क्या कर सकता हूँ?” की महान आज्ञा में हमारी भूमिका को पूरा कर सके |
हम सिर्फ यह नहीं कह सकते है , “मैं जाऊँगा और कुछ लोगों को प्रभु के लिए जितने की कोशिश करूँगा और कुछ कलीसियाओं को शुरू करूँगा |” हमें पूछना है: “ हमे इस एक एथ्नोस या इन बहुगुणित एथ्ने को चेला बनाने में क्या लगेगा?”
कई देशों के चुनौतीपूर्ण न पहुँचे हुए क्षेत्रों में, एक मिशन का दल कई स्थानों में सेवा कर करती है और उन्होंने देखा कि तीन वर्षों में 220 कलिसियायें शुरू की गई हैं| यह बहुत ही अच्छा है, विशेषकर उनके कठिन एवं कभी –कभी शत्रुतापूर्ण संदर्भ में | परन्तु इस दल के पास सम्पूर्ण क्षेत्र को चेला बनाने का दर्शन था|
उनका प्रश्न था: “हमारी पीढ़ी में हमारे इस क्षेत्र को चेला बनाने में क्या लगेगा?” उत्तर था एक ठोस शुरुआत (एक शुरुआत – न कि अंत) के लिए 10,000 कलिसियाओं की आवश्यकता होगी| इसलिये तीन वर्षों में 220 कलिसियायें पर्याप्त नहीं हैं|
परमेश्वर ने उन्हें दिखाया कि उनके क्षेत्र में पहुँचने के लिए पुन: उत्पादन करनेवाली कलीसियाओं की कई बहुगुणित शाखाओं की आवश्यकता है | वे सब कुछ परिवर्तन करना चाहते थे | जब परमेश्वर ने उनके पास CPM प्रशिक्षकों को भेजा, तो उन्होंने पवित्रशास्त्र में से ढूंढा और प्रार्थना किया एवं कुछ मौलिक परिवर्तन किये | जिससे आज तक , परमेश्वर ने उस क्षेत्र में 7,000+ कलीसियाओं को शुरू किया|
एशिया के एक पासबान ने 14 वर्षों में 12 कलीसियाओं का रोपण किया| यह अच्छा था, परन्तु यह उसके क्षेत्र में खोये हुओं के स्तर में परिवर्तन नहीं कर पाया | परमेश्वर ने उसे और उसके साथ परिश्रम करनेवालों को सम्पूर्ण उत्तर भारत तक पहुँचने के दर्शन का हिस्सा बनाया था | उन्होंने पारंपरिक तरीकों को छोड़ बाइबिल संबंधित रणनीतियों को सिखने का कठिन परिश्रम आरम्भ किया | आज 36,000 कलिसियायें शुरू की गई हैं| और परमेश्वर ने उनसे जो करने को कहा था यह उसका एक आरम्भ मात्र था |
न पहुँचे संसार के एक अन्य भाग में परमेश्वर ने झरने के आन्दोलन को एक भाषा के समूह से सात अन्य भाषायी समूहों में पाँच विशाल शहरों में शुरू किया | उन्होंने 25 वर्षों में 10-13 मिलियन लोगों को बपतिस्मा लेते देखा है , परन्तु यह उनका लक्ष्य नहीं था| जब यह पूछा गया कि इन लाखों नये विश्वासियों के बारे में वह क्या सोचते है, उनके एक अगुवे ने कहा, “मैं उन उद्धार पाए हुओं पर ध्यान नहीं देता | मेरा ध्यान उन लोगों पर है जिन तक पहुँचने में हम असफल हुए हैं | करोडो अब भी अन्धकार में रह रहे हैं क्योंकि हमने वह नहीं किया जो हमें करने की आवश्यकता है |”
इन आंदोलनों का एक चिन्ह यह है कि एक व्यक्ति या लोगों का एक दल परमेश्वरीय दर्शन को स्वीकार करता है | यह देखते हुए की देशों का सम्पूर्ण क्षेत्र परमेश्वर के राज्य से भर गया है | सम्पूर्ण न पहुँचे हुए लोगों के समूह को देखना – आठ मिलियन, या 14 मिलियन या तीन मिलियन तक ही पहुँच पाये हैं, ऐसे पहुचे की हर एक के पास सुसमाचार के लिए प्रतिउत्तर हो | वे पूछते हैं: “क्या होना चाहिए ?” न कि “हम क्या कर सकते है ?” परिणामस्वरूप, वे परमेश्वर के तरीके में उचित बैठते हैं और उसकी सामर्थ्य से भर जाते हैं | वे पुन: उत्पन्न करनेवाली कलीसियाओं का हिस्सा बनते है जो उनके समूहों को चेला बनाने तथा रूपांतरित करना शुरू कर देते है |
24:14 आन्दोलन का प्रारंभिक लक्ष्य न पहुँचे हुए लोगों एवं स्थान में शामिल होना है, न कि समाप्ति के लकीर तक पहुँचना है | यह केवल एक शुरुआत है प्रत्येक लोग एवं स्थान के लिए (उदाहरण के लिए, उस स्थान में लोगों का समूह)| हम प्रत्येक समूह में काम को पूरा नहीं कर सकते हैं जब तक कि हर समूह में कार्य को शुरू नहीं किया जाए |
परमेश्वर के राज्य के आन्दोलन को हर लोगों और स्थान में देखने के लिए , हम केवल रणनीतियों और प्रणालीयों के चुनाव पर आश्रित नहीं रह सकते है | आरंभिक कलीसिया को परमेश्वर ने जो सामर्थ दि थी उसी को पाने की तैयारी हमे रखनी चाहिए | उन आरंभिक वर्षों में सुसमाचार तेजी से फैला जबतक कोई न पहुचा हुआ स्थान उन आरंभिक क्षेत्रों न छुटा हो |
स्टेन पार्क पीएचडी 24:14 गठबंधन (सुविधा टीम), परे (वीपी वैश्विक रणनीतियों), और Ethne (नेतृत्व टीम) में कार्य करता है । वह विश्व स्तर पर सीपीएम की एक किस्म के लिए एक ट्रेनर और कोच है और रहते है और १९९४ के बाद से पहुंच के बीच सेवा की ।
यह सामग्री पहली बार पृष्ठ 139-144, पुस्तक 24:14 के १४७ पर छपी-सभी लोगों के लिए एक गवाही, 24:14 से या अमेज़न से उपलब्ध है ।
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{1) अगले 7 पैराग्राफ कुछ अंश और https://justinlong.org/2015/01/unreached-is-not-unevangelized से संपादित कर रहे हैं-
आईएस-नॉट-अनंगेज/। इन शर्तों के बारे में अधिक जानकारी के लिए यह लेख देखें।
(2) जैसा कि “24:14 विजन” में वर्णित है: 24:14 – सभी लोगों के लिए एक प्रमाण, पीपी 2-3।
(3) नए नियम और अन्य प्रारंभिक ईसाई साहित्य, तीसरा संस्करण, 2000 के एक ग्रीक-अंग्रेजी शब्दकोश। संशोधित और
फ्रेडरिक विलियम डैनकर द्वारा संपादित, वाल्टर बॉयर और पिछले अंग्रेजी संस्करणों के आधार पर डब्ल्यूएफ अर्न्ड, एफडब्ल्यू गिरिच,
और F.W. Danker । शिकागो और लंदन: शिकागो प्रेस विश्वविद्यालय, पी २७६ ।
(4) इस बड़ी संख्या को गिनना और दस्तावेज़ करना आसान नहीं है, इस प्रकार अनुमानित सीमा।
